मगतिमगुली

Publisher: Goyal Publishers

ISBN: 9788119345519

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Product Details

      • Author: Abhai Maurya, Translated by : Jepbarova Shirin
      • Binding: Hardbound
      • ISBN-13: 9788119345519
      • Language: Hindi
      • Pages: 284
      • Publisher: Goyal Publishers
      • Publishing Date: 2023
      • Subtitle: Magtymugli
      • Subject: Hindi
      • Weight : 600g

      About The Book 

      खयाल मेरा हिंदुस्तान में

      तुर्कमेन लोगों के महान कवि, विचारक और दार्शनिक मगतिमगुली फ्रागी का जन्म 1724 में गुर्गन नदी के पास खजिगौशन में हुआ था। उन्होंने अपना अधिकांश जीवन एत्रेक, गुर्गन और गौरंगला क्षेत्रों में बिताया।

      उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा अपने पिता दौलतमम्मत आज़ादी से प्राप्त की। उन्होंने विभिन्न पुस्तकें बेहद चाव से पढ़ीं। जब मगतिमगुली छोटा था, तो वह अपने माता-पिता और गांव के बुजुर्गों से बहुत सारी लोक किंवदंतियां, कविताएं और कहानियां उत्सुकता से सुनता था। उन्होंने अपने पिता दौलतमम्मत आज़ादी द्वारा रचित अधिकांश रचनाएं कंठस्थ कर लीं। मगतिमगुली की प्रतिभा और अध्ययन के प्रति उत्सुकता को महसूस करते हुए दौलतमम्मत आज़ादी ने एक विद्वान के रूप में उनके विकास का ध्यान रखा। इसीलिए, आज़ादी ने सबसे पहले अपने बेटे को खलाज में इद्रीस बाबा मदरसे में पढ़ने के लिए भेजा। उन्होंने कुछ समय तक इस मदरसे में अध्ययन किया। फिर वह बुखारा गए, जहां उन्होंने गौगेलदाश मदरसे में दो साल तक अध्ययन किया। उन्होंने खीवा में शीरगाज़ी मदरसे में अपनी शिक्षा जारी रखी। उन्होंने वहां तीन साल तक अध्ययन किया। वह बड़ा होकर अपने समय का उच्च शिक्षित और बुद्धिमान व्यक्ति बना।

      उन्होंने तुर्कमेन शास्त्रीय साहित्य के सुधार और तुर्कमेन साहित्यिक भाषा के विकास में महान योगदान दिया। महान विचारक और शास्त्रीय कवि मगतिमगुली फ्रागी का निधन 1807 में सोंगिदागी के पास अतासारी नामक झरने के पास हुआ। उन्हें ईरान के इस्लामी गणराज्य के गोलेस्तान क्षेत्र में आकतोकय गांव के पास "गरी मोल्ला" कब्रिस्तान में उनके पिता के बगल में दफनाया गया था।

      तुर्कमेन राष्ट्रीय साहित्य के महान गुरु मगतिमगुली फ्रागी की रचनात्मक विरासत ने उनके समय से ही विद्वानों का ध्यान आकर्षित किया है। उनकी खूबसूरत कलात्मक और गहन कविताओं ने सभी के दिलों में सही जगह बना ली है। उनकी साहित्यिक विरासत दुनिया भर में महत्वपूर्ण होती जा रही है। वे तुर्कमेन राष्ट्रीय पहचान और अंतर्राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बन गए हैं। तुर्की संस्कृति के अंतर्राष्ट्रीय संगठन ने 2014 को कवि के जन्म की 290वीं वर्षगांठ "मगतिमगुली का वर्ष" घोषित किया है।

      मगतिमगुली के छंद नियमित रूप से तुर्कमेन शादियों और सांस्कृतिक उत्सवों के दौरान सुने जाते हैं, जिन्हें पांरपरिक रूप से गायकों द्वारा गाया जाता है। इसके अलावा, तुर्कमेनिस्तान की आधुनिक राजधानी अश्गाबात में आने वाले पर्यटकों को कवि को श्रद्धा देने वाले कई स्थलों को देखने का मौका मिलता है, जिनमें मगतिमगुली राष्ट्रीय संगीत और नाटक थिएटर, मगतिमगुली स्टेट यूनिवर्सिटी और मगतिमगुली एवेन्यू शामिल हैं, जो प्रमुख मार्गों में से एक है। कई स्मारक और पट्टिकाएं जैसे अश्गाबात के इंडिपेंडेंस स्क्वायर में कवि की एक बड़ी मूर्ति, कवि की सर्वव्यापी

      सराहना की गवाही देती हैं। 2012 के बाद से, मगतिमगुली का चित्र 10 मनट बैंकनोट की शोभा बढ़ा रहा है

      सामाजिक संगठनों और पुरस्कारों का नाम कवि के नाम पर रखा गया है, जैसे कि राष्ट्रीय मगतिमगुली युवा संगठन, जो ग्रामीण युवाओं के लिए एक शैक्षिक कार्यक्रम है, जिसकी स्थापना 1991 में की गई थी। 1992 से तुर्कमेन भाषा और साहित्य के क्षेत्र में प्रतिष्ठित विद्वानों को मगतिमगुली अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार प्रतिवर्ष प्रदान किया जाता है। मई 2023 में, मगतिमगुली फ्रागी की पांडुलिपियों का एक संग्रह युनेस्को "मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड" रजिस्टर में शामिल किया गया था।

      उनके नाम को कालजयी बनाने के लिए विभिन्न गतिविधियां चलाई जाती रहीं हैं, जैसे व्यापक अध्ययन, अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन, तुर्कमेन कविता को नए संस्करण और उनकी कविताओं का विश्व भाषाओं में बड़े पैमाने पर अनुवाद अभियान और उनकी रचनाओं का प्रकाशन इसका स्पष्ट प्रमाण है।

      2024 में, पूर्व के महान विचारक एवं राष्ट्रीय कवि मगतिमगुली फ्रागी की 300वीं वर्षगांठ को गंभीरता से मनाने के लिए, साथ ही कवि की समृद्ध साहित्यिक विरासत का गहराई से अध्ययन करने के लिए वैश्विक भागीदारों के सहयोग से तुर्कमेन सरकार अश्गाबात और विदेशों में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन और कार्यक्रम आयोजित करेगी। मगतिमगुली की कविताओं का हिंदी अनुवाद और प्रकाशन इन गतिविधियों में से एक है, जिस पर हम पहले प्रकाश डाल चुके हैं।

      हम विज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में उनके सभी उपक्रमों के लिए हमारे सम्मानित राष्ट्रपति अर्कदागली सेरदार और हमारे राष्ट्रीय नेता, नायक अर्कदाग के आभारी हैं।

      हम दौलतमम्मत आज़ादी तुर्कमेन राष्ट्रीय विश्व भाषा संस्थान के शिक्षकों जेप्बारोवा शीरीन, मुहम्मेदोवा गुलनारा एवं चारियेवा ओगुलजेन्नेत की कड़ी मेहनत को स्वीकार करना चाहेंगे जिन्होंने इस मूल्यवान संस्करण का अनुवाद किया। अंग्रेज़ी और विदेशी भाषा विश्वविद्यालय के संस्थापक- वाइसचांस्लर प्रोफ़ेसर अभय मोर्य को हमारा हार्दिक धन्यवाद, जिन्होंने ईमानदारी से इस ग्रंथ का संपादन किया है। अंततः महत्वपूर्ण बात यह है कि हम नई दिल्ली में तुर्कमेनिस्तान के दूतावास को हार्दिक धन्यवाद देना चाहते हैं जिनके प्रयासों से यह पुस्तक प्रकाशित हो सकी।

      कुलियेवा म.म.
      अश्गाबात, 2023